इटारसी। इटारसी नगर के मध्य में स्थित देशबंधुपुरा में डाक्टर हेडा नर्सिंग होम के बाजू में एक तीन मंजिला आलीशान मकान को नगरपालिका द्वारा मकान मालिक धीरेंद्र अग्रवाल मनोहर अग्रवाल को नोटिस जारी कर मकान को खतरनाक घोषित किया गया और नोटिस के 7 दिवस के अंदर मकान तोडऩे का आदेश दिया गया। नहीं तोडऩे की स्थिति में मकान की मरम्मत कराने की लिखित सूचना कार्यालय को देने अन्यथा समयावधि समाप्त होने पर नगरपालिका द्वारा नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 221 के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही की चेतावनी के साथ समस्त हर्जे खर्चें की जबावदारी बिल्डिंग मालिक की होगी। इस आशय का एक नोटिस जारी किया गया जबकि उक्त तीन मंजिला मकान के लिये धीरेंद्र अग्रवाल एवं उसके चचेरे भाई वीरेंद्र अग्रवाल पिता बनारसीलाल अग्रवाल के मध्य न्यायालय में विवाद चल रहा है।
उक्त मकान के संबंध में प्रथम अपर जिला न्यायाधीश इटारसी के न्यायालय में मुकदमा चल रहा है जिसका व्यवहार वाद क्रमांक 1 अ/15 वीरेंद्र कुमार अग्रवाल बनाम धीरेंद्र कुमार बगैरह है। इस प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा अंतरवत्र्तीय आदेश जारी कर प्रकरण में किसी तृतीय पक्ष का कोई हित निर्मित न किये जाने का आदेश पारित किया गया था। वीरेंद्र अग्रवाल द्वारा एक लिखित शिकायत में बताया कि जब मैं अपने उक्त मकान के बाजू से निकल रहा था तो मकान के अंदर तोडफ़ोड़ की आवाज आई जबकि मकान के बाहर ताला लगा हुआ था। मैने जांच पड़ताल की तो पाया मकान के ऊपरी भाग में तोड्फ़ाड़ हुई है एवं बाहर से ताला लगाकर तोडफ़ोड़ की जा रही है।
मुझे आशंका है कि मकान के स्वरूप में परिवर्तन हो सके एंव प्रकरण का उद्देश्य विफल हो सके। मुकदमा चलते रहने तक किसी भी पक्ष को तोडफ़ोड़ करने या भौतिक परिवर्तित करने का कोई अधिकार नहीं था। श्री वीरेंद्र अग्रवाल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि भू-माफिया से मिलकर बिल्डिंग को जीर्णक्षीर्ण हालत में दिखाकर गुमराह करके बिल्डिंग को तोड़ा गया है ताकि बिल्डिंग का मूल स्वरूप बदलकर प्लाट दिखाकर उसकी रजिस्ट्री कम राजस्व देकर करवा सके जिससे शासन को लाखों रुपए की राजस्व की हानि हो गी और मुझे आर्थिक नुकसान होगा। लगभग दो वर्ष पूर्व प्रथम अपरसत्र न्यायालय ने इस बिल्डिंग की कीमत धीरेंद्र मनोहर अग्रवाल द्वारा 1 करोड़ 81 लाख रुपए दर्शाई गई है। बिना न्यायालय के अनुमति के मात्र नगरपालिका परिषद इटारसी के एक नोटिस का सहारा लेकर इस तीन मंजिला पक्की इमारत को एक सोची समझी गई योजना के अंतर्गत तोड़ दिया गया है। श्री वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जब उन्होंने नगरपालिका से सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी प्राप्त की तो वह आश्चर्यचकित रह गए कि नगरपालिका ने धीरेंद्र अग्रवाल को जो नोटिस दिया उसमें लिखा कि मकान बहुत पुराना है उसकी हालत शिकस्त हो गई है और इस पत्र के प्राप्त होने के 7 दिवस के अंदर भवन तोड़ देवें जबकि इस क्षेत्र का सबसे मजबूत यह भवन था। आखिर नगरपालिका ने बिना मौका मुआयना किये किसकी रिपोर्ट पर इस बिल्उिंग को तोडऩे का नोटिस दिया है यह भी जांच का विषय है? नगर की एक भी क्षतिग्रस्त बिल्डिंग को नगरपालिका के नोटिस के बावजूद नहीं तोड़ा गया है और एक मजबूत बिल्डिंग जिसे तोडऩे में लाखों रुपए खर्च आया और काफी समय लगा। यह सब विषय जांच के बिन्दु है। श्री वीरेंद्र कुमार अग्रवाल ने इस संपूर्ण प्रकरण की शिकायत कलेक्टर अविनाश लवानिया से की। कलेक्टर ने एसडीओ को जांच कर प्रतिवेदन देने का आदेश दिया है। अब देखना है कि एसडीओ इस प्रकरण की जांच कब तक कर प्रकरण में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करते है। वर्तमान में मौके पर अब आलीशान भवन की अपेक्षा प्लाट देखा जा सकता है।
उक्त मकान के संबंध में प्रथम अपर जिला न्यायाधीश इटारसी के न्यायालय में मुकदमा चल रहा है जिसका व्यवहार वाद क्रमांक 1 अ/15 वीरेंद्र कुमार अग्रवाल बनाम धीरेंद्र कुमार बगैरह है। इस प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा अंतरवत्र्तीय आदेश जारी कर प्रकरण में किसी तृतीय पक्ष का कोई हित निर्मित न किये जाने का आदेश पारित किया गया था। वीरेंद्र अग्रवाल द्वारा एक लिखित शिकायत में बताया कि जब मैं अपने उक्त मकान के बाजू से निकल रहा था तो मकान के अंदर तोडफ़ोड़ की आवाज आई जबकि मकान के बाहर ताला लगा हुआ था। मैने जांच पड़ताल की तो पाया मकान के ऊपरी भाग में तोड्फ़ाड़ हुई है एवं बाहर से ताला लगाकर तोडफ़ोड़ की जा रही है।